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गुणवत्ता वाले बीजों का अपने खेत पर उत्पादन कर सकेंगे किसान

जयपुर| राज्य में कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार ने उर्वरकों की बिक्री को पीओएस के जरिए करने की व्यवस्था लागू कर दी है। इस व्यवस्था को अपनाने की अनिवार्यता के चलते राज्य के 80 फीसदी रिटेलर विक्रेताओं ने मशीन से बिक्री शुरू कर दी है। इसमें आधार कार्ड और फिंगर प्रिंट दोनों का मिलान करने के बाद भी उर्वरक बेच सकेंगे। इसमें उर्वरक की मात्रा पर अभी कोई प्रतिबंध नहीं है और ही कितनी बार ले जाएंगे, इस पर कोई रोक है। किसानों को बिना बाधा के उर्वरक मुहैया कराने के लिए ही यह व्यवस्था शुरू की है। पीओएस के माध्यम से की जाने वाली उर्वरकों की बिक्री पर राज्य सरकार के कृषि विभाग के साथ केंद्र सरकार भी नजर रखेगी। उर्वरक ले जाने वाले की पहचान करने के साथ उसके द्वारा खरीदे गए उर्वरकों के उपयोग की जानकारी भी जुटाई जाएगी। 
उच्च गुणवत्ता वाले बीजों का उत्पादन अब किसान अपने खेत पर भी कर सकेगा। मुख्यमंत्री बीज स्वावलंबन योजना के तहत किसानों को ऐसे बीज उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा और विधिवत प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। इस प्रशिक्षण का सारा खर्च सरकार उठाएगी। इस योजना में गांव के किसानों का समूह बनाया जाएगा। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अपने बजट भाषण में इसकी घोषणा की थी। इसे अब क्रियान्वित किया जा रहा है। 
फसलका चयन : इस योजना में मूंग, सोयाबीन, उड़द, ज्वार गेहूं के बीज उत्पादन का कार्यक्रम हाथ में लिया जाएगा। 
कृषकसमूह का चयन : योजनाके तहत किसानों का चयन संबंधित क्षेत्र के सहायक कृषि अधिकारी या कृषि पर्यवेक्षक करेंगे। वे ऐसे किसानों को इस समूह में शामिल करेंगे, जो बीज उत्पादन के प्रति रुचि रखते हैं। समूह में 30 से 50 किसानों का शामिल करने का प्रा‌वधान है। इसमें एससी-एसटी का चयन जिले की जनसंख्या के अनुसार किया जाएगा। 
समूह में बीज उत्पादक का चयन 
कृषि पर्यवेक्षक द्वारा बनाए गए समूह में से ही समूह के सदस्य 2 से 4 बीज उत्पादक सदस्य का चयन करेंगे। बाकी सदस्य अगले वर्ष इस उत्पादित बीज का उपयोग करेंगे। बीज उत्पादक किसान को बीज का उत्पादन विभागीय सिफारिश के अनुसार करना होगा। 
समूह के लिए उत्पादन क्षेत्र की गणना : बीज स्वावलंबन योजना में किसानों को 5 से 20 हैक्टेयर क्षेत्र के लिए बीज उपलब्ध कराया जाएगा। इसकी गणना जलवायुवीय खंड की पैकेज ऑफ प्रेक्टिस की सिफारिश के अनुसार की जाएगी। आधार या प्रमाणित बीज उपलब्ध कराने के लिए कृषक समूह द्वारा आगामी वर्ष में उस फसल की अनुमानित बुआई के आधार पर की जाएगी। 
बीज उत्पादन प्रशिक्षण : किसानों को बीज उत्पादन से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसका सारा खर्च सरकार वहन करेगी। तीन प्रशिक्षणों में पहला बुआई के समय, दूसरा फसल में फूल आने की अवस्था में और तीसरा फसल कटाई के बाद भंडारण, जांच, नमूना लेने, प्रयोगशाला भेजने और स्वयं के स्तर पर बीज के अंकुरण प्रतिशत की जांच के लिए दिया जाएगा। 
बीज दरों का निर्धारण : उत्पादितबीज की विक्रय दरों का निर्धारण समूह के सदस्यों द्वारा किया जाएगा। ये दरें उक्त फसल की प्रचलित बाजार दरों से 10 प्रतिशत तक अधिक हो सकती है। उत्पादक किसान समूह के सदस्य किसानों के बीच सहमति हो जाए तो उसी फसल की उपज की 10 प्रतिशत अधिक मात्रा लेकर बदले में उत्पादित बीज दिया जा सकता है। 

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