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पीएनबी के बहाने बैंकिंग प्रणाली पर उठे सवाल

पंजाब नेशनल बैंक ने 11,500 करोड़ की लेन-देन की धोखाधड़ी करके एक बार फिर भारतीय बैंकिंग प्रणाली की कार्यपद्धति पर सवाल उठा दिए हैं। यह रकम बैंक के विदेशी खातेदारों के खाते में फर्जी तरीके से हस्तांतरित की गई ताकि उस खाते के आधार पर उन्हें दूसरे बैंकों से मदद मिल सके। ऐसा करने वाले बड़े कारोबारी ही रहे होंगे, क्योंकि इसमें व्यवसाय का दायरा भारत से लेकर विदेश तक फैला हुआ दिख रहा है। पंजाब नेशनल बैंक कर्ज देने के मामले में भारतीय स्टेट बैंक के बाद देश का दूसरे नंबर का और कुल संपत्ति के लिहाज से चौथे नंबर का बैंक है। इस महत्वपूर्ण बैंक में एक हफ्ते के भीतर धोखाधड़ी की दूसरी बड़ी घटना चौंकाने के साथ हमारे तंत्र की लापरवाही की ओर इशारा भी करती है। इस घटना से पहले नीरव मोदी नाम के व्यापारी ने 280 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की थी और बैंक अभी यह जाहिर नहीं कर रहा है कि हाल की घटना उससे संबद्ध है या अलग। संभव है कि वित्त मंत्रालय इसे भ्रष्टाचार पकड़ने में अपनी कामयाबी के रूप में पेश करें लेकिन, इस खबर से बैंक के शेयर 4 से 5 फीसदी तक तो गिरे ही हैं उसकी साख में जो बट्टा लगा है वह अलग है। भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन नेे चेतावनी दी थी कि हमें सबसे पहले बैंकों के बही-खातों को दुरुस्त करने की आवश्यकता है, क्योंकि उसमें बहुत सारी गड़बड़ियां हैं। उस समय सरकार और देश के तमाम उद्योगपति उन पर ब्याज दरें कम करने का दबाव बना रहे थे। उसके बाद गवर्नर बने उर्जित पटेल ऐसा कोई काम करते इससे पहले नोटबंदी का निर्णय ले लिया गया और यह मान लिया गया कि इससे देश की काली अर्थव्यवस्था दुरुस्त हो जाएगी और बैंकिंग प्रणाली में भी चुस्ती आएगी। जबकि हाल में सरकार जिस तरह से बांड जारी करके बैंकों के पुनरुद्धार का कार्यक्रम चला रही है उससे स्पष्ट है और बैंकों का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। पिछले साल के आंकड़े बताते हैं कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली पर बट्टा खाते का बोझ 8 लाख करोड़ रुपए का है। इस सूची में भारतीय स्टेट बैंक के बाद पंजाब नेशनल बैंक का ही नंबर आता है जिसके बट्टा खाते का ऋण 57,630 करोड़ रुपए है। समय आ गया है कि कॉर्पोरेट घरानों और बड़ी कंपनियों द्वारा बैकों को लगाई जाने वाली इस चपत पर सरकार उचित और कठोर कार्रवाई करे।

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