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सरसों-चना खरीद में ई-पंजीयन व 25 क्विंटल की शर्त हटाने की मांग पर विरोध


समर्थन मूल्य पर विक्रय की जाने वाली सरसों एवं चना खरीद प्रक्रिया में वेबपोर्टल पर ई-मित्र से रजिस्ट्रेशन एवं फसल बिक्री की सीमा (25 क्विंटल) की अनिवार्यता को हटाने एवं आढ़त दिलवाने की मांग को लेकर व्यापार मंडल सचिव पवन मित्तल ने हवाला देते हुए बताया कि पीलीबंगा मंडी हनुमानगढ़ जिले की सुपर ए श्रेणी की कृषि मंडी है। यहां प्रतिवर्ष हजारों क्विंटल सरसों व चना की बिक्री होती है। मंडी के व्यापारियों ने यह अनिवार्यता समाप्त करने की मांग की। उन्होंने सौंपे ज्ञापन में बताया कि विगत रबी सीजन में 6167 क्विंटल चना व 103692 क्विंटल सरसों की आवक पीलीबंगा में हुई थी। वर्तमान में सरसों व चने की नई फसल आने वाली है। इनका बाजार मूल्य समर्थन मूल्य से काफी नीचे चल रहा है। पीलीबंगा मंडी में समर्थन मूल्य पर चने की खरीद का केंद्र नहीं बनाया गया है। 
जिसकी वजह से किसानों को उसकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिल पाएगा। इसके साथ चने व सरसों की समर्थन मूल्य पर खरीद हेतु ई-रजिस्ट्रेशन व गिरदावरी की अनिवार्यता की गई है। 
किसानों को नुकसान- कृषि जिंस प्राइवेट एजेंसी को बेचनी पड़ेगी, व्यापारी- चना-सरसों पर आढ़त नहीं मिलेगी 
किसान- किसानों को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी शेष कृषि जिंसों को कम दामों पर प्राइवेट एजेंसी को बेचनी पड़ेगी। एक मुश्त राशि नहीं मिलने से किसान कृषि ऋण भुगतान समय पर नहीं कर पाएगा। बैंकों में किसानों की साख की खराब होगी। 
व्यापारी- सचिव ने बताया कि सरकार द्वारा कच्चा आढ़तिया को मंडी प्रांगण में किसानों द्वारा लाई गई कृषि जिंसों पर खरीद एजेंसी द्वारा 2% आढ़त देने का प्रावधान है। लेकिन सरकार द्वारा की जाने वाली चना एवं सरसों की खरीद पर आढ़त नहीं दी जा रही है। 
मजदूर- किसान पहले तो सीधा मंडी में अपनी फसल लाता और तुलाई हो जाती। इससे मजदूरों को काम मिलता लेकिन अब ऐसा नहीं होने से मजदूर भी खासा परेशान है। मजूदरों का कहना है कि वे 6 माह से इस फसली सीजन का इंतजार कर रहे थे कि सरकार ने उम्मीदों पर पानी फेरे दिया। 

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